हरतालिका तीज 2025: जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और व्रत के नियम | Hartalika Teej 2025 Puja

Hartalika Teej 2025: हरतालिका तीज का त्योहार आ गया है. ये सुहागिनों के लिए बहुत खास होता है. इस दिन महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए बहुत कठिन व्रत रखती हैं. बिना कुछ खाए-पिए, पूरे दिन बस भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं. इस बार तीज की तारीख को लेकर लोगों में थोड़ी confusion है, लेकिन परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं है. मैं आपको सब कुछ अच्छे से समझा देता हूँ ताकि आप बिना किसी दिक्कत के व्रत कर सकें.

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

 

कब है हरतालिका तीज और पूजा का शुभ मुहूर्त

 

हरतालिका तीज का व्रत इस साल 26 अगस्त को रखा जाएगा. असल में तृतीया तिथि 25 अगस्त को दोपहर में ही शुरू हो रही है, लेकिन पूजा हमेशा उदया तिथि में ही की जाती है, इसलिए 26 तारीख को ही यह व्रत सही माना जाएगा.

पूजा के लिए शुभ मुहूर्त:

  • सुबह की पूजा: सुबह 5 बजकर 56 मिनट से सुबह 8 बजकर 31 मिनट तक.
  • शाम की पूजा (प्रदोष काल): शाम 6 बजकर 54 मिनट से 9 बजकर 6 मिनट तक.

हरतालिका तीज का महत्व और पौराणिक कथा

 

इस व्रत का नाम Hartalika इसलिए पड़ा क्योंकि एक बार माता पार्वती की सहेली (आलिका) ने उनका हरण (हरत) कर लिया था. वो उन्हें जंगल में ले गई थी ताकि उनके पिता उनका विवाह भगवान विष्णु से न करवा दें. जंगल में पार्वती जी ने शिव जी को पाने के लिए बहुत कठिन तपस्या की थी. उनके इसी त्याग और प्रेम से खुश होकर शिव जी ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था. इसी वजह से यह व्रत सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र और अच्छा वैवाहिक जीवन पाने के लिए करती हैं. वहीं, कुंवारी लड़कियां अच्छा जीवनसाथी पाने की चाह में यह व्रत रखती हैं.

Read More  एशिया कप 2025: श्रेयस अय्यर क्यों हुए बाहर? तिलक, रिंकू, दुबे को क्यों मिला मौका? | Asia Cup Squad

 

पूजा की विधि और ज़रूरी पूजा सामग्री

 

इस व्रत में भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की मिट्टी की मूर्तियाँ बनाकर पूजा की जाती है. पूजा से पहले महिलाएं solah shringar करके तैयार होती हैं.

पूजा के लिए यह सामान चाहिए:

  • मिट्टी की मूर्तियाँ (शिव, पार्वती, गणेश).
  • सोलह श्रृंगार का सामान (बिंदी, चूड़ी, सिंदूर, काजल, मेहंदी आदि).
  • बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल, फल, मिठाई, हल्दी, कुमकुम.
  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल).
  • दीपक, धूप, अगरबत्ती और vrat katha की किताब.

सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें, फिर शिव-पार्वती की. माता पार्वती को श्रृंगार का सामान चढ़ाएँ और vrat katha ज़रूर सुनें. इसके बाद aarti करें.

 

निर्जला व्रत और व्रत तोड़ने का तरीका

 

यह व्रत nirjala होता है, इसका मतलब है कि इसमें आपको पूरे दिन न तो कुछ खाना है और न ही पानी पीना है. यह व्रत बहुत मुश्किल होता है, पर लोग अपनी श्रद्धा से इसे पूरा करते हैं. शाम की पूजा के बाद ही आप अपना व्रत खोल सकते हैं. कुछ लोग रात में aarti के बाद या अगले दिन सुबह व्रत का पारण करते हैं.

 

हमारे इस पूरे पोर्टल के कर्ता-धर्ता, हर्ष दुबे को डिजिटल मीडिया और सामग्री प्रबंधन में व्यापक अनुभव है। उनका सीधा-सा विचार है कि हमारे पाठक हमेशा सबसे ताज़ा और सबसे उपयोगी जानकारी, वो भी बिल्कुल आसानी से, प्राप्त कर सकें.

Post Comment

You May Have Missed